हर देश में तू हर वेश में तू , तेरे नाम अनेक तू एक ही है
तेरी रंग भूमि यह विश्व धरा, हर खेल में मेल में तू ही तो है
सागर से उठा बादल बनकर, बादल से वर्षा जल बनकर
फिर नहर बनी नदिया गहरी, तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है
हर देश में. -----------------------------!
चिटी से अणु परमाणु बना, हर जीव जगत का रूप लिया
कही पर्वत वृक्ष विशाल बना, सौन्दर्य तेरा तू एक ही है
हर देश में तू.-----------------------------!
यह दिव्य दिखाया है जिसने वह है, गुरुदेव की पुण्य दया
टुकड़ा कही और न कोई दिखा , बस मै और तू सब एक ही है
हर देश में तू -----------------------------!
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