मो. इकबाल द्वारा रचित "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा " {saare jahaan se achcha hindustaan hmaara}







सारे जहां से  अच्छा हिन्दोस्तां हमारा 
हम बुलबुले है इसकी, वह गुलिस्तां हमारा 

पर्वत वह सबसे ऊँचा, हम साया आसमां का
वह संतरी हमारा ,वह पासबां हमारा 

गोदी में खेलती है, जिसके हज़ारो नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए - जनां हमारा 

मजहब नहीं सिखाता ,आपस में बैर रखना 
हिंदी है हम वतन के , हिन्दोस्तां हमारा ||

युनान-ओ-मिस्र-ओ-रुमा सब मिट गए जहां से 
अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशां हमारा 

कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी 
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमाँ हमारा 

इकबाल कोई मरहम अपना नहीं जहां में 
मालुम क्या किसी दर्द-ए-निहाँ हमारा 

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