यदि में आपको एक प्रश्न करता हूँ की प्रथम भारतीय महिला
अन्तरिक्ष यात्री कौन है ? तो obviously आपका जवाब
यही होगा की कल्पना चावला प्रथम भारतीय महिला अन्तरिक्ष यात्री है | क्या आप इस अन्तरिक्ष यात्री के बारे में
कुछ जानकारी रखते है?
चलिए आज हम जानते है कल्पना चावला का
जीवन परिचय
-: जन्म(BORN) :-
आपका जन्म 1 जुलाई 1961
को हरियाणा राज्य के करनाल प्रांत में हुआ पिता का नाम बनारसी लाल चावला व
माता का नाम संयोगिता देवी था | दो बहने दीपा एवं सुनीता व एक भाई था संजय |
कल्पना बचपन से ही मेधावी तथा सृजन बालिका रही |
-: शिक्षा (EDUCATION) :-
आपकी माध्यमिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन करनाल में हुई तत्पश्चात सन 1978 में करनाल के
ही दयाल सिंह महाविद्यालय से इंजीनियरिंग उत्तीर्ण की | वज्र कठोर संकल्प और उड़ान
की तीव्र इच्छाशक्ति रखने वाली कल्पना चावला का एरोनोटिक इंजीनियरिंग में विशेष
लगाव था इसी के कारण उन्होंने पंजाब विश्वविध्यालय में प्रवेश हेतु आवेदन किया और
आख़िरकार उनका चयन हो गया | परन्तु परिवारजन इससे पूर्ण रूप से असहमत थे और
उन्होंने इसका विरोध भी किया | वो कल्पना को बाहर नहीं भेजना चाहते थे इसका मूल
कारण था की कल्पना एक बेटी थी | वस्तुतः जब कल्पना की सहेली डेजी चावला को भी
पंजाब विश्वविध्यालय में प्रवेश
मिला तो परिवार वाले काफी समजाइश के बाद मान गये की कल्पना और डेजी दोनों साथ
जायेगी | “सफ़र अभी ख़त्म कहा हुआ था ये तो केवल एक शुरुआत थी सपनो के उड़ान की |” सन
1982 में पंजाब विश्वविध्यालय से अन्तरिक्ष इंजीनियरिंग की डिग्री पूर्ण की |
-: अमेरिका के लिए रवाना :-
-: विवाह एवम अन्तरिक्ष यात्रा :-
अमेरिका पहुँचने पर सबसे पहले कल्पना की
मुलाक़ात अमेरिकी व्यक्ति जीन पियरे हेरिसन से हुई , जो अमेरिकी संस्था के उड़ान
प्रशिक्षक थे| टेक्सोस विश्वविध्यालय में ही फ्लाइंग क्लब था तो
कल्पना ने वहा हवाई जहाज में उड़ान भरना शुरू कर दिया था | और इसके अंतर्गत कोई
मुसीबत आती तो वह हेरिसन को पूछा करती थी | हेरिसन ने कल्पना की बहुत सहायता की धीरे धीरे वह एक दुसरे को जानने लगे और
अंततः दिसम्बर 1983 में दोनों
विवाह सूत्र में बंध गये| विवाह के बाद 1984
में उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि
प्राप्त की | अब इसके बाद और आगे बढ़ते हुए वो पी.एच.डी. के लिए कोलोरेडो गयी वस्तुतः
1988 में यह उपाधि भी पूर्ण कर ली | तत्पश्चात उन्होंने केलिफोर्निया के एम्स
रिसर्च सेण्टर में नासा ( नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ) के काम
करना शुरू कर दिया| श्रीमती कल्पना चावला की विलक्षण बुद्धि, अटूट प्रतिभा और अपने
कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और गंभीरता को देखते हुए नासा ने उन्हें दिसम्बर 1994
को अपने यहाँ बुलाया | 2962 आवेदनकर्ताओं मे से पूरी प्रक्रिया के बाद केवल 6 लोगो
को चुना गया उसमे एक थी हिन्दुस्तान का सीना गर्व से फुला देने वाली , हिमालय के
मस्तक को और ऊँचा कर देने वाली, श्रीमती कल्पना चावला जी हाँ श्रीमती कल्पना चावला
| नासा की संस्था में आपकी गंभीर परीक्षाये हुई, कई कसोटियों पर परखा गया | बहुत
सारे शारीरिक प्रशिक्षण होने के उपरान्त आखिरकार वो घड़ी आ गयी जिसका उन्हें
बेसब्री से इंतज़ार था|
-: पहली अन्तरिक्ष यात्रा :-
19 नवम्बर 1997 को कोलम्बिया यान की
सहायता से श्रीमती कल्पना चावला को अपने साथी यात्रियों के साथ अन्तरिक्ष के लिए
रवाना किया जाना तय हुआ यह मिशन लगभग 16 दिन,16 घंटे और 32 मिनट का था|
वास्तविक उड़ान के दो घंटे पूर्व से ही
उल्टी गिनती शुरू हो गयी सभी यात्री यान में थे और शून्य होते ही अचानक तेज भयानक
गर्जना के बाद सैकड़ो टन वजन वाला यान ऊपर
की और तेज रफ़्तार से उड़ने लगा | कल्पना चावला को यह अनुभव होने लगा की वह विश्व के
सबसे शक्तिशाली यान के अगले सिरे पर है और सीधे ऊपर की और उडी जा रही है| शटल ने
जेसे ही पृथ्वी पर चक्कर लगाना आरम्भ किया , वेसे ही सभी यात्रियों का वजन अचानक
गायब हो गया | वे सभी भारहीन हो गये | पहले छाती पर भार का अनुभव हुआ बाद में यह
दबाव कम हुआ और ऐसा लगा जेसे वे सभी मछली की भाँती पानी में तैर रहे है | भारहीनता
के कारण कभी कभी वे यान की छत पर अपने पाँव टिका देते | 5 दिसम्बर सन 1977 से
वापसी यात्रा आरम्भ हुई और प्रातः 6 बजकर 20 मिनट पर यान पृथ्वी के वायुमंडल में
प्रवेश कर गया | और
हिन्दुस्तान की बेटी ने लहरा दिया परचम और बन गयी प्रथम भारतीय महिला अन्तरिक्ष
यात्री | यह दिन हिंदुस्तान के इतिहास की मुख्य धारा में स्वर्ण अक्षरों में अंकित
हुआ |
-: अन्तरिक्ष की दूसरी उड़ान और देहावसान :-
पहली अन्तरिक्ष यात्रा का जश्न भी ठीक
से नही मनाया की नासा ने दूसरी यात्रा की रुपरेखा तय कर ली और इस बार पुरे चालक दल
के प्रतिनिधि की जिम्मेदारी थी भारत की लाडली श्रीमती कल्पना चावला के वज्र कंधो
पर | 16 जनवरी सन 2003 के मिशन में इस बार भी अन्तरिक्ष यान एस टी एस – 107 कोलम्बिया
ही रखा गया | यान में बेठे सभी यात्रियों ने अपने अपने हेलमेट बंद कर दिए | इंजन
स्टार्ट हुआ और संकेत मिलते ही कोलम्बिया यान उड़ चला खुले आसमान में | अन्तरिक्ष
की शैर ( VISIT) होने के बाद अब बारी थी धरती पर पुनः लौटने की और नासा के कंट्रोल रूम से यान
के नियंत्रक अन्तरिक्ष यात्रियों से लगातार संपर्क बनाये हुए थे | यान के वापस
लौटने की खबर सुनते ही लोग स्पेस सेण्टर कक्ष की ओर भागे , ताकि वे यात्रियों का
भव्य स्वागत कर सके | 1 फरवरी 2003 को अचानक 9 बजकर 20 मिनट ( अमेरिका समयानुसार )
पर कंट्रोल रूम से उद्घोषक ने यह घोषणा की कि यान का नासा से संपर्क टूट गया है
अभी तक तो यान धरती से 2 लाख 70 हज़ार फीट की उंचाई पर था | उसकी गति लगभग 20112 किलोमीटर प्रति घंटा थी
| अन्तरिक्ष यान से संपर्क स्थापित करने का भरसक प्रयास किया गया परन्तु सब कुछ
विफल रहा | नासा में सभी चिंतित हो गये और यह खबर भारत में भी लाइव दिखाई जा रही
थी तो सभी भारतीय भी ईश्वर से प्रार्थना करने लगे की जेसे तैसे एक बार यान धरती पर
लौट आये परन्तु शायद भगवान ( GOD ) ने सब कुछ पहले ही तय कर रखा होगा | अब यान को धरती पर पहुँचने में केवल 16
मिनट बाकी था| यान के बांये भाग में तापमान लगातार बढ़ता जा रहा था | अंततः 1 फरवरी
2003 को कोलम्बिया यान एस टी एस -107 क्षतिग्रस्त और टुकड़े - टुकड़े होकर धरती पर आ
गिरा | इसके साथ ही कल्पना चावला और अन्य छः यात्री भी मौत की गोद में सो गये | कल्पना
चावला के निधन के बाद भारत सरकार ने उनकी स्मृतियों में मौसम विज्ञान उपग्रह का
नाम “कल्पना प्रथम” रखा | समूचे विश्व
ने दुःख और शोक प्रकट किया और बहुत सारे
राष्ट्रनायको ने कल्पना को श्रध्दांजली दी | भारत सरकार ने घोषणा की कि 1 फरवरी
2003 का दिन कल्पना चावला की स्मृति दिवस के
रूप में मनाया जायेगा | कल्पना चावला ने इण्डिया टुडे को दिए अपने अंतिम
साक्षात्कार में कहा था – “मैंने स्वयं को पृथ्वी के प्रति ही नहीं , अपितु
सम्पूर्ण विश्व के प्रति एक सेविका के रूप में देखा है |” उनकी यह बात उनके अन्तः
मन में समाहित वसुधेव कुटुम्बकम की भावना को उजागर करती है |
इसीलिए सच ही कहा जाता है “कुछ लोगो की आत्मा शरीर को त्याग देती है परन्तु वो यादे लोगो के दिलों में
ऐसे बस जाती है जिसे कभी पृथक नहीं किया जा सकता |” --RAJAWATYS
और बेटी का परिचय देते हुए प्रमोद
सनाढ्य साहब ने अपनी कविता में लिखा है कि “ये गंगा की निर्मल धारा श्रीमद् गीता
सार है , जिस आँगन में बेटी दौड़े वो जन्नत का द्वार है|”
हिन्दुस्तान की इस लाडली बेटी कल्पना
चावला पर न केवल देश को, अपितु समूचे विश्व को फक्र है, गर्व है |
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