।। खेल चौसर का ।।
कुरु राज्य सभा में आज
चौसर रो यो खेल जमाय।
न्योतो भेज्यो पांडवा ने ,
दूत विदुर ने बणाय।।
पुत्र मोह मे अंधा हुआ
हस्तिनापुर राज धृतराष्ट्र।
अन्याय कियो पांडवा संघ
बिछाकर चौसर बिसात।।
शकुनी री चाल रे आगे
चली न किसी की एक।
भीष्म, द्रोण संग कृपाचार्य भी
रहते रह गए देख।।
भाई, नारी और राज सहित
धर्मराज लगे है दाव।
एक - एक कर सब हार गए
बची न सर पर छाव।।
सती द्रोपदी रा केश खिचकर
बीच सभा में लाय।
चिर खीचे सती रो
दुशाशन मचायो हाय हाय।।
मंत्री विधुर के नीति- ज्ञान
सब हो गए गोण।
दुर्योधन की हठ के आगे
हस्तिनापुर हुआ है मौन।।
हाथ जोड़ ने याद किया सती,
द्वारिका रा नाथ।
लाज बचाओ, मान बढ़ाओ
पुकारे जेसे अनाथ।।
चिर बढायो सती रो
राख्यो भक्त रो मान।
खीचखीच दुशाशन हरयो
भुल्यो अपनो भान।।
✍️
श्री राव नरेंद्र सिंह नवनीत
आईडाणा, मेवाड़
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