-:मंदिर मस्जिद
गिरिजाघर ने:-
मंदिर
मस्जिद गिरिजाघर ने
बाँट दिया
भगवान को
धरती बांटा सागर बांटा,
मत बांटो
इंसान को
तुम मत
बांटो इंसान को
अभी राह तो शुरु हुई है
मंजिल लेकिन दूर है
उजियाला महलो बंदी
हर दीपक मजबूर है
मिला न सूरज
का संदेशा
हर घाटी मैदान को
धरती बांटी सागर
बांटा
मत
बांटो इंसान को
अभी हरी भरी धरती है
ऊपर नील वितान है
पर अगर प्यार न हो तो
जग सुना रेगिस्तान है
अभी प्यार
का जल देना है
हर प्यासी
चट्टान को
धरती बांटी
सागर बांटा
मत बांटो
इंसान को
तुम मत
बांटो इंसान को
साथ उठे तो सब पहरा हो
सूरज का हर द्वार पर
हर उदास आँगन का हक़ हो
खिलती हुई बहार पर
रोंद न
पायेगा कोई
मौसम की
मुस्कान को , धरती बांटी सागर ---------||
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