कोविड-19 - लॉकडाउन और हम
21 मार्च को देश में
कोविड 19 के खिलाफ लड़ने की तैयारी लगभग हो गयी थी और इसी दिन माननीय प्रधानमंत्री
जी द्वारा अगले दिवस यानी 22 मार्च को होने वाले जनता कर्फ्यू का ऐलान किया गया |
यह एक ऐसा कर्फ्यू था जिसको जनता ने बिना सुरक्षा बलों के सहर्ष पालन किया व लोग
अपने-अपने घरों में बंद रहे | यह दिन इस महामारी से लड़ने में जन समुदाय की भूमिका
का सबसे महत्वपूर्ण दिन था | सांयकालीन सम्पूर्ण देश एक साथ अनेक प्रकार की
ध्वनियो से गूंजायमान हो गया और शायद यही विविधता में एकता का अनूठा उदाहरण भी था
| इसी दिन से देश में लॉकडाउन की तैयारियाँ कर ली गयी और आखिरकार देश में पहला
लॉकडाउन घोषित कर दिया गया | अब बात करते है इस लॉकडाउन की क्या उपलब्धियाँ रही तो
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस महामारी से विभिन्न देशो में संक्रमित होने वाले
अनुमानित आंकड़ो में भारत में यह संख्या अनुमानित आंकड़ो से कम रही तो इसका
सर्वप्रथम श्रेय लॉकडाउन हेतु लिए गए निर्णय को जाता है| थाली बजाने से लेकर दीप
जलाने तक यह स्पष्ट हो गया था कि अब भारतीयों को अपने शीर्ष नेतृत्व पर पूर्ण
विश्वास है और वे संतुष्ट है कि सरकार जो भी कदम उठाएगी वह निःसंकोच जनहित में
होगा | कई ऐसे विषय है जिसको लेकर यह स्पष्ट कहा जा सकता है की लॉकडाउन में हमे
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान के साथ बहुत कुछ प्राप्त भी हुआ है | बात
करें यदि पर्यावरण की तो यह परिष्कृत हुआ है और प्रदुषण में एकदम से भारी कमी पाई
गई और हाँ यहाँ में आपको बताना चाहता हूँ की जहां देश की राजधानी नई दिल्ली में
लॉकडाउन से पहले इस महामारी के कारण नहीं बल्कि प्रदुषण के कारण मास्क बांधा जाता
था उसी राजधानी में लॉकडाउन के बाद इंसान अपने आपको कैसा महसूस करेगा इसकी कल्पना
आप सहज ही कर सकते है | तथा शुद्ध हवाओं के झोकों से लेकर ओजोन परत की क्षरण में
कमी तक इंसान को यह ज्ञात हो गया है कि प्रकृति के साथ उसका व्यवहार कैसा होना
चाहिए और आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी बातों पर मंथन करने के लिए भरपूर समय भी
इंसान को इसी लॉकडाउन में मिला है | गँगा जैसी पवित्र नदी के लिए सरकार को वर्षो
तक कई बड़े सफाई अभियान चलाने पड़े उसी गंगा के निर्मल जल की धारा में से धरातल का
साफ़ दिखाई देना इस लॉकडाउन की उपलब्धि नहीं तो और क्या है? डॉक्टर , सुरक्षाकर्मी
सहित देश में तमाम कोरोना योद्धा ने अपनी राष्ट्रभक्ति का बखूबी परिचय दिया और इन
योद्धाओ के प्रोत्साहन हेतु भारतीय वायु सेना द्वारा पुष्प वर्षा करना भी एक
महत्वपूर्ण कार्य रहा | साथ ही स्वेच्छा से अपनी देह पर इस महामारी हेतु बनाए जा
रहे टिके के परिक्षण के लिए अनुमति देना भी इसी कालखण्ड में राष्ट्रप्रेम की एक घटना
है | लॉकडाउन के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय में राष्ट्र के प्रति संकल्पित भाव एवं
आत्मप्रदेश में राष्ट्र सर्वोपरि की उत्तम विचारधारा विचरण कर रही थी | इंसान अपने
स्वास्थ्य के प्रति पुर्णतः जागरूक भी हुआ और यह अच्छी प्रकार विदित हो गया की रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर गम्भीर बीमारी से भी लड़ा जा सकता है इसके लिए दिनचर्या
कैसी हो खानपान कैसा हो या जीवनशैली कैसी हो यह सभी कार्य इंसान बिना अतिरिक्त
प्रयास किए समझ रहा था | परिवार में आनंद के साथ , अपनत्व और सौहार्द भी बढ़ा |
इंसान भौतिक सुख सुविधाओं के उन्नति की लालसा में अपने परिवार से दूर रहकर जीवन की
भागदौड में बहुत व्यस्त हो गया था उसे अपने परिवार के साथ दीर्घकाल तक बिलकुल करीब
रहने का सुअवसर मिला है | और संजोग दशको बाद सनातन धार्मिक ग्रन्थ रामायण के
दूरदर्शन पर प्रसारण ने भी प्रत्येक भारतीय को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम
के जीवन दर्शन से प्रत्यक्ष रूबरू करवा दिया और जीने की राह को भी आसान किया है |
वर्तमान में इसे अवगत कराना नितांत आवश्यक भी था और लोग इसका अनुसरण करते इस दिशा
में चल पड़े यह सुखद समाचार है | इसी समय में दूरदर्शन पर महाभारत के प्रसारण ने
व्यक्ति के जीवन संग्राम में कुरुक्षेत्र की पृष्ठभूमि को स्पष्ट कर दिया साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का कर्णप्रिय श्रवणपान भी हुआ | इसी लॉकडाउन में अनेक सरकारी एवं
गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा दीन-दुखियों की सेवा करना उनकी हर सम्भव सहायता करना ये
सद्कार्य यह स्पष्ट करता है कि “परोपकार” व “मानव सेवा ही परमधर्म है” यह इंसान को
भली-भाँती ज्ञात हो गया | और एक समय ऐसा लगा मानों इंसान माया के मोह से त्वरित मुक्त
हो रहा है| प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रतिभा निखारने का पूरा अवसर मिला जैसे लेखक
, कवि या अन्य कोई कलाकार इत्यादि |फैशन पर फ़िज़ूल खर्च और अनावश्यक खरीददारी का
इंसान ने बेहतर मूल्यांकन किया है | इसी लॉकडाउन में “स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ” का
नारा भी बुलंद हुआ | जो दम्पती अपनी भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में अपने बच्चो को किसी अन्य
के हाथों में पालन पोषण का भार सौंपकर अपने व्यवसाय में बहुत व्यस्त रहते थे इसी लॉकडाउन
में बच्चे के मुख पर असामान्य सी मुस्कान और उसकी आत्मा ममत्व से तृप्त होती साफ़
झलक रही है | वास्तविकता में प्रशासन की कार्यशैली एवं उनको प्रदत्त शक्तियां क्या
है इसे लोग बहुत करीब से जान पाए है | अब “आमजन में विश्वास और अपराधियों में डर” साफ़तौर पर देखने को मिला | अचानक शराब की दुकानों का खुलना और उस पर लोगो का उमड़
पड़ना जैसे कोई समुद्र मंथन से अमृत ले रहे हो यह परिस्थितियाँ भी हमे आने वाले कल
की तस्वीर आज ही बयाँ कर रही है आश्चर्य तो तब हुआ जब महिलाओं ने शराब के साथ
सोनार की दुकाने खोलने का निवेदन इसलिए किया क्योंकि उनको लगता है की परिवार के मुखिया द्अवारा अत्यधिक शराब
सेवन के कारण नौबत हमारे गहने बेचने की भी आ सकती है | इस पर चिंता सहित चिंतन
करें |
10 मई 2020 योगेन्द्र सिंह राजावत
पाली मारवाड़
1 comments:
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