श्रावण के मौसम के आगमन पर एक शानदार स्वरचित कविता "सावन" hindi poem saavan



                                        "सावन"

   
                   


छुपके-छुपके सावन आया,
खुशियों की ये बहार लाया |

चलो सखी हम झुला झूले,
हरियाली में खेले-कूदे |

गाड़ी मोटरे जऱा करलो बंद,
हम बैलगाड़ी में मस्त मगन |

कितना सुनहरा गगन निराला,
माना पंछी हो बोलने वाला |

मितभाषी मेघ तुम जऱा बता दो,
अम्बर के कोई गीत सुना दो |

पुष्प कलि पर महके –महके,
कोयल को मधुर राग गाने दो |

कुएँ , खड़ीन और नहर , बावड़ी पर
इन्दर को वज्र गिराने दो || 
                        -योगेन्द्र सिंह राजावत



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