फितरत
इनायत है अगर, फितरत में तेरे
मुरव्वत में ही सही, इबादत होगी |
करेगा सजदा हर शख्स तुझे,
अगर तुझमे नजासत की बजाय, नजाफ़त होगी
|
अर्पित कर अकीदत के पुष्प तू दिल से
तलब तेरे नजराना की बरकत होगी |
मुतासिर कर जमाने को, इंतिहा तक इतना
कभी इल्तिजा से, तो कभी मुन्तजिर
बनकर
एतराफ अपनी कसक का दरगुजर कर
हसरत तेरे मुक्कदर की मुक्कमल होगी |
इनायत है अगर फितरत में तेरे
मुरव्वत में ही सही इबादत होगी ||
-योगेन्द्र सिंह राजावत
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