प्रभु
फुलवारी सी महक
आप ऋतुओं में बसंत है |
पेय में अमृत
आप पुष्पों में कमल है |
संगीत के सुर
आप नीर में सागर है |
रंगो का इन्द्रधनुष
आप गाय में कामधेनु है |
भावो का उपन्यास
आप नाव की पतवार है |
वेदों में ऋग्वेद
आप गीता का सार है |
वाणी में कोयल
आप अजर अविनाशी है |
क्या लिखूं में इस लोक में
आप सभी लोकों के स्वामी है
प्रभु आप अन्तर्यामी है
|| ✍ योगेन्द्र
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