प्रार्थना के स्वर में "प्रभु" का स्वरचित वर्णन THE LORD IN HINDI


                                                               प्रभु 

                               

फुलवारी सी महक
आप ऋतुओं में बसंत है |
पेय में अमृत
आप पुष्पों में कमल है |
संगीत के सुर
आप नीर में सागर है |
रंगो का इन्द्रधनुष
आप गाय में कामधेनु है |
भावो का उपन्यास
आप नाव की पतवार है |
वेदों में ऋग्वेद
आप गीता का सार है |
वाणी में कोयल
आप अजर अविनाशी है |
क्या लिखूं में इस लोक में
आप सभी लोकों के स्वामी है
                            प्रभु आप अन्तर्यामी है ||                       योगेन्द्र    

  

                   

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