हल्दीघाटी
गूँज उठी हल्दीघाटी राणा री हुंकार सूं
उड़ ग्या चिथड़ा मुगलों रा प्रताप री तलवार सूं
पाणी नहीं रण में शौणित सूं प्यास बुझाई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |
पड्यो नहीं तेज फीको “हिंदुआ-सूरज” रो
जद मान सिंह रे हाथी माथे पाँव चेतक रो
तांडव देख हरावल रो अकबर फौज घबराई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |
झाला बिदा मुकुट धरयो, इण धरा पे बलिदान करयो
हकीम सूरी सा सेनानायक, पूँजा बाणों सूं वार करयो
नाळा वेता रणभूमि में भर गई रक्ततलाई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |
वीरभूमि पर जनमिया राणा सिसोदिया सिरदार
सौपीं सारी धन-दौलत वो भामाशाह रो उपकार
महलों में जिमण वाला घास की रोटी खाई
पर मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई ।।
✍️ योगेंद्र सिंह राजावत
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