स्वरचित कविता वीरशिरोमणि परम तेजस्वी सम्राट महाराणा प्रताप के वर्णन हेतु हल्दीघाटी युद्ध THE MAHARANA PRATAP AND BATTLE OF HALDIGHATI


                                                            हल्दीघाटी 

                                      


गूँज उठी हल्दीघाटी राणा री हुंकार सूं
उड़ ग्या चिथड़ा मुगलों रा प्रताप री तलवार सूं
पाणी नहीं रण में शौणित सूं प्यास बुझाई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |

पड्यो नहीं तेज फीको “हिंदुआ-सूरज” रो
जद मान सिंह रे हाथी माथे पाँव चेतक रो       
तांडव देख हरावल रो अकबर फौज घबराई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |

झाला बिदा मुकुट धरयो, इण धरा पे बलिदान करयो
हकीम सूरी सा सेनानायक, पूँजा बाणों सूं वार करयो
नाळा वेता रणभूमि में भर गई रक्ततलाई
मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई |


वीरभूमि पर जनमिया राणा सिसोदिया सिरदार
सौपीं सारी धन-दौलत वो भामाशाह रो उपकार  
महलों में जिमण वाला घास की रोटी खाई
पर मेवाड़ भौम री रक्षा खातिर आछी अलख जगाई ।।

✍️ योगेंद्र सिंह राजावत




         


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