भारतीय रेल की भूमिका एवं राष्ट्रनिर्माण में योगदान को उल्लेखित करती ये स्वरचित कविता bhartiy rel hindi kavita Hindi Poem indian train

 



"भारतीय रेल"


समय के अनुकूल हूँ,

हाँ मैं भारतीय रेल हूँ ।

जब सूखा और अकाल पड़ा ,

मैं 'जल ट्रेन' बन गई ।

मेहमानों की आवभगत में ,

'शाही ट्रेन' बन गई ।

चारों धाम की यात्रा करना,

या मोक्ष हरिद्वार को हो जाना,

समय-समय पर मैं तुम्हें ,

कुंभ स्नान भी कराती हूँ ।

जब संकट देखा महामारी का,

तो 'कोरोना वार्ड' बन गई ।

ऑक्सीजन की किल्लत हुई ,

तो 'ऑक्सीजन ट्रेन' बन गई ।

लॉकडाउन में अप्रवासियों को,

सकुशल घर पहुँचाया है ।

फसल किसानों की पहुंचाने को,

मैं एक 'किसान रेल' हूँ ।

समय के अनुकूल हूँ,

हाँ मैं भारतीय रेल हूँ ।

पर पीड़ा मेरी सुनो आज तुम,

किसने तुम्हें अधिकार दिया ,

मेरे ही आंचल में बैठकर ,

कोने को तुमने दुर्गंध किया ।

लो अभी से प्रण स्वयं तुम 

मुझे इतना मान दोगे ।

 जान बचाने वाली को,

 निसदिन वह सम्मान दोगे ।

 देश बचाने खातिर मैं ,

खतरों से लड़ भी जाऊंगी ।

पर स्वभाव तुम्हारा ना बदला तो 

अपनों से लड़ ना पाऊंगी ।।😊


✍️योगेंद्र सिंह राजावत🚩🙏


हिंदी कविता "भारतीय रेल"


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