हल्दीघाटी के युद्ध का संक्षिप्त परिचय देती स्वरचित कविता "या माटी हल्दीघाटी" Haldighati yudh mewad maharana pratap poem

 


मायड़ धरा मेवाड़ पर या माटी हल्दीघाटी,

रक्त कणों सु सींची या माटी हल्दीघाटी ।


राणा प्रताप ने मेवाड़ को इतिहास में सिद्ध किया,

तलवार पर तलवार गिरी मुगलों से घोर युद्ध किया ।

जद मानसिंह ने चढ़ हाथी पर युद्ध में की चढ़ाई,

राणा के घोड़े चेतक ने उन्हें याद दिला दी माई ।

हरावल की गर्जना से या गूंजी पर्वतपाटी

रक्त कणों सु सींची या माटी हल्दीघाटी ।


रामप्रसाद हाथी ने भी मायड़ का मान बढ़ाया

जब अकबर की सेना ने उसको बन्दी बनाया 

भुख प्यास से प्राण त्याग दिए सेवक स्वामिभक्त ने

पर राणा प्रताप की सेना का अकबर को भान कराया ।


रचा करता था षड्यंत्र युद्ध में अकबर विश्वासघाती

रक्त कणों सु सींची या माटी हल्दीघाटी ।


गौडवाड़ के भामाशाह ने धन-वैभव सब दान किया

और युद्ध भूमि पर स्वयं अपना झाला ने बलिदान दिया ।

पवन वेग सु उड़ता चेतक दस गज नाला लांघ गया

राणा पूंजा के बाणों सु अकबर का निकल स्वांग गया ।

मेवाड़ के वीरों से भर गई देखो खमनोर वाटि

रक्त कणों सु सींची या माटी हल्दीघाटी ।


✍️योगेंद्र सिंह राजावत 

18 जून 2021




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