एक नन्ही सी परी के मन के भाव "पापा! मैं कोयल बन जाऊँ" स्वरचित hindi kavita on "Koyal"

 


पापा! मैं कोयल बन जाऊँ ।

मधुर-मधुर संगीत सुनाऊ

उन्मुक्त गगन में पंख फैलाकर 

लौट कर माँ के आँचल में सो जाऊं 

पापा! मैं कोयल बन जाऊँ ।

कल-कल करती नदियां प्यारी

बाग-बगीचा फल फुलवारी

कूक-कूक करती डाल-डाल पर

उड़ती जाऊँ और नाचूँ गाऊं

पापा! मैं कोयल बन जाऊँ ।

कोई पकड़ ले ,आप छुड़ाना 

बस हर पल मेरे साथ में आना 

मां की ममता सबसे निराली

झूम झूम कर डाली डाली

किसी जीव को तंग मत करना

तुम समझाओ मैं समझाऊं 

पापा! मैं कोयल बन जाऊँ ।

✍️योगेंद्र सिंह राजावत




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