हिंदी शायरी, मुक्तक, शॉर्ट poem All are self-made





रूठे हुए भीतर मन को खुद ही मनाना पड़ता है ,

ग़ुरूर भरे इस सागर से तैरकर आना पड़ता है ।

कौन देता है साथ भला स्वार्थ भरी इस दुनिया में,

अपने हिस्से का दीपक तो, खुद ही जलाना पड़ता है ।।

✍️©योगेंद्र




जिसे खोने से डर रहे हो 

फ़िर भी प्राप्त कर रहे हो ।

जाने ये कैसी फ़ितरत है तुम्हारी

होगा खाली ये झोला 

फिर भी भर रहे हों ।

✍️योगेंद्र




जीवन वही है जिसमें अरमान जिंदा हो ,

व्यवहार में उनके ईमान जिंदा हो ।

है यही कमाल एक श्रेष्ठ प्राणी का बेशक

क्योंकि इंसान वही है जिसमें इंसान जिंदा हो ।

✍️योगेंद्र



हमने ऐसे भी मुफलिस देखे हैं दुनिया में ऐ दोस्त,

पास जिनके, सिवाय दौलत के ,और कुछ भी नहीं ।

✍️योगेंद्र



अगर मिला नहीं मुझे तो क्या फर्क पड़ गया 

आखिर हारा भी तो एक दिन जीतने के लिए ।

✍️योगेंद्र


ह्रदय बसिया हिंद रे, धणी राणा मेवाड़ 

राखी मुछाँ ऐंठोड़ी, वे शूरवीर सरदार ।

✍️योगेंद्र



सूरज की पहली किरण एक संदेश देती है अक्सर , 
कि हो सकता है रोशन ये जहां, बस तु मेरी तरह डूबकर फिर निकल तो सही |
✍️योगेंद्र




Always keep loyalty with good person.
✍️Yogendra 






before step on the edge of time 
Remember, you have to measure the sky with these morale.
-✍️Yogendra 





सचमुच आज तो 
एक ज्वार सा जगा है 
आंतरिक प्रदेश में ।
पूरा करने को आतुर है
मेरा अन्तर्मन ।
हरबार की भाँति 
केवल सपने ही नहीं संजोये ।
लगता है पूरा करने का वक्त आ गया
सचमुच आज तो ।
तत्पर है मेरी मंज़िल भी
मुझे उस तक पाने को ।
दर्द जो दिल से लगा है
अब ऐसा हौंसला जगा है 
सचमुच आज तो ।


✍️योगेंद्र सिंह राजावत















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