रूठे हुए भीतर मन को खुद ही मनाना पड़ता है ,
ग़ुरूर भरे इस सागर से तैरकर आना पड़ता है ।
कौन देता है साथ भला स्वार्थ भरी इस दुनिया में,
अपने हिस्से का दीपक तो, खुद ही जलाना पड़ता है ।।
✍️©योगेंद्र
जिसे खोने से डर रहे हो
फ़िर भी प्राप्त कर रहे हो ।
जाने ये कैसी फ़ितरत है तुम्हारी
होगा खाली ये झोला
फिर भी भर रहे हों ।
✍️योगेंद्र
जीवन वही है जिसमें अरमान जिंदा हो ,
व्यवहार में उनके ईमान जिंदा हो ।
है यही कमाल एक श्रेष्ठ प्राणी का बेशक
क्योंकि इंसान वही है जिसमें इंसान जिंदा हो ।
✍️योगेंद्र
हमने ऐसे भी मुफलिस देखे हैं दुनिया में ऐ दोस्त,
पास जिनके, सिवाय दौलत के ,और कुछ भी नहीं ।
✍️योगेंद्र
अगर मिला नहीं मुझे तो क्या फर्क पड़ गया
आखिर हारा भी तो एक दिन जीतने के लिए ।
✍️योगेंद्र
ह्रदय बसिया हिंद रे, धणी राणा मेवाड़
राखी मुछाँ ऐंठोड़ी, वे शूरवीर सरदार ।
✍️योगेंद्र
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