पलाश की छाँव में बैठा मैं ढूँढ रहा हूँ मुझको पिरोए जा रहा हूँ माला आने वाले बसंत के लिए । पतझड़ में जो महक रहा रंग प्यारा केसरिया प्र...
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समस्त मानवीय मूल्यों का संरक्षण एवं प्राणिमात्र के प्रति दया का भाव
सागर के मध्य में या रेगिस्तान के ठीक बीच में अथवा यों कहें कि आकाश व पाताल के बीच इन सभी जगहों पर मैं यह जान पाता हूं की मैं क्या हूं? मेर...
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'आओ आशा के दीप जलाएं' स्वरचित हिन्दी कविता
स्नेह अतुल,धन्य ये भुवन ज्योतिर्मय विजय अभिनंदन, बन कर सुर, गीत लहराएं आओ आशा के दीप जलाएं। सूखे उपवन को, हरित करें हम हर आँगन में, खुशि...
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समय है अनमोल हिन्दी कविता hindi poem samay
"समय हैं अनमोल" समय ही संकीर्ण ,समय ही विस्तार हैं समय पर सदा ,समय के विचार हैं समय के दोषी को, समय पर हराना हैं समय हैं...
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' हे मानुष तुझे हंसकर चलना होगा ।' स्वरचित हिंदी कविता hindi kavita poem
जो काल के भाल पर वीरों सी छाप देते हैं एक डुबकी में सागर की गहराई नाप लेते हैं पुँज बनकर हर संकट में प्रखरना होगा हे मानुष तुझे हंसकर चलन...
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हिंदी कविता 'स्वभाव' Best hindi poem
छूकर भी नित बुलंदियों को , जो सरल बना हुआ यह कैसा स्वभाव , जो पौधा से वृक्ष बना हुआ निर्मल नीर समान , यह अमृत सा उत्तम है भांति-भांति सर...
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